स्थित पातालेश्वर नवग्रह कुण्डों में से एक इस कुण्ड का निर्माण भी युधिष्ठिर द्वारा करवाया गया था जो कि सूर्य कुण्ड के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। तीर्थ महादेव मन्दिर उत्तर-मध्यकालीन नागर शैली का मन्दिर है जो कि वास्तुकला की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। तीर्थ परिसर से 8वीं-9वीं शती ई. की ईंटे भी मिली हैं। तीर्थ के जीर्णोद्धार का श्रेय कैथल के शासक भाई उदय सिंह के मंत्री सेठ छज्जूमल को जाता है जिसके कारण इसे छज्जू कुण्ड भी कहा जाता है। वर्तमान मे तीर्थ पर उत्तर मध्यकालीन स्नान घाटों के अवशेष देखने को मिलते हैं। पूर्व में यहां शुक्रवार एवं कार्तिक स्नान की परम्परा रही है।