• यह तीर्थ सरस्वती नदी की सहायक नदी दृषद्वती नदी के तट पर स्थित है।
• लोक कथाओं के अनुसार, महाभारत यु( के समय श्रीकृष्ण और पांडवों ने कुरुक्षेत्र के यु( के मैदान में यहीं से प्रवेश किया था जहां उनके लिए एक स्वागत द्वार बनाया गया था।
• तीर्थ परिवेश से उत्तर हड़प्पा कालीन एवं धूसर चित्रित मृदभाण्डीय संस्कृति के अवशेष मिलते हैं।