• सरस्वती नदी के तट पर स्थित यह तीर्थ कुरुक्षेत्र की अष्टकोसी परिक्रमा का एक मुख्य तीर्थ है।
• यह परिक्रमा नाभिकमल तीर्थ से शुरू होकर कार्तिक मंदिर, स्थानविश्वर महादेव मंदिर, कुबेर तीर्थ से होते हुए इस सरस्वती घाट पर पहुंचती है।
•इस तीर्थ के बाद भक्त रंतुक यक्ष, शिव मंदिर पलवल, बाण गंगा दयालपुर, भीष्म कुंड नरकतारी जाते हैं और यह यात्रा पुनः नाभिकमल तीर्थ पर समाप्त होती है।
• इस तीर्थ से मध्ययुगीन अष्टकोणीय बुर्जियों वाले दो घाट मौजूद हैं तथा यहां से मध्यकालीन मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े मिले हैं।
सरस्वती घाट, खेड़ी मारकण्डा, कुरुक्षेत्र
सरस्वती नदी के तट पर स्थित यह तीर्थ कुरुक्षेत्र की अष्टकोसी परिक्रमा का एक प्रमुख तीर्थ है। यह परिक्रमा नाभिकमल तीर्थ से शुरू होकर कार्तिक मंदिर, स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर, कुबेर तीर्थ से होते हुए इस सरस्वती घाट पर पहुंचती है। इस तीर्थ के बाद भक्त रन्तुक यक्ष, शिव मंदिर पलवल, बाण गंगा दयालपुर, भीष्म कुंड नरकतारी जाते हैं और यह यात्रा पुनः नाभिकमल तीर्थ पर समाप्त होती है। इस तीर्थ पर मध्य कालीन अष्टकोणीय बुर्जियों वाले दो घाट मौजूद हैं।
Located on the bank of the River Saraswati, this tirtha is also associated with Ashtakosi Parikrama of Kurukshetra. This parikrama starts from Nabhi Kamal tirtha and reaches this Saraswati Ghat via Kartik temple, Sthanvishwar Mahadev temple and Kuber tirtha. After this tirtha, the devotees visit Rantuk Yaksha, Shiv temple-Palwal, Ban Ganga-Dayalpur, Bhishma Kund- Narkatari and this journey ends again at Nabhi Kamal tirtha. There are two ghats with octagonal turrets of medieval period at this tirtha.
Saraswati Ghat, Kheri Markanda
Tirtha associated with Ashtakoshi Parikrama of Kurukshetra