रेणुका तीर्थ अरणैचा
परशुराम की माता रेणुका से समबन्धित तीर्थ
यह तीर्थ पिहोवा से 5 कि.मी. तथा कुरुक्षेत्र से लगभग 33 कि.मी. की दूरी पर अरणैचा नामक ग्राम मे स्थित है जिसका सम्बंध महर्षि जमदग्नि की धर्मपत्नी एवं परशुराम की माता रेणुका से है। इस तीर्थ के नाम एवं महत्त्व सम्बन्धित पर्याप्त विवरण महाभारत एवं पौराणिक साहित्य में मिलते हैं।
महाभारत के अनुसार वेदाध्ययन में सम्पूर्ण कुशलता प्राप्त करने पर महर्षि जमदग्नि ने महाराजा प्रसेनजित के पास जाकर उनकी पुत्री रेणुका से विवाह की इच्छा प्रकट की। राजा प्रसेनजित ने प्रसन्नता सहित रेणुका महर्षि को सौंप दी। रेणुका ने पाँच पुत्रों को रुमण्वान, सुषेण, वसु, विश्वावसु एवं परशुराम को जन्म दिया। एक बार महर्षि जमदग्नि ने क्रोध में आकर अपने सभी पुत्रों को रेणुका का वध करने को कहा लेकिन परशुराम के अतिरिक्त कोई भी ऐसा करने को तैयार नहीं हुआ। ऋषि ने परशुराम की पितृभक्ति से प्रसन्न होकर उसे कोई अभिलषित वर मांगने को कहा। परशुराम ने सहर्ष अपनी माता को पुनजीर्वित करने का वर माँगा जिससे उनकी माता रेणुका पुनर्जीवित हो उठी।
महाभारत के अनुशासन पर्व की कथा के अनुसार महर्षि जमदग्नि के द्वारा बाणों को चलाए जाने पर रेणुका उन्हें उठा-उठा कर लाती थी। एक बार सूर्य की तीव्र धूप से सिर एवं पावों के जलने पर क्षण भर वृक्ष की छाया में विश्राम करने पर रेणुका ये बाण लेकर क्षण मात्र के विलम्ब से पहुँची। तब क्रोधित हुए जमदग्नि ने उससे विलम्ब का कारण पूछा। रेणुका के द्वारा विलम्ब का कारण सूर्य को जानकर महर्षि ने सूर्य को नष्ट करने के लिए अपना धनुष व असंख्य बाण उठाए। उनके इस क्रोध से बचने के लिए सूर्य देव ब्राह्मण का रूप धारण कर महर्षि के पास पहुँचे। उन्होनें अपनी बुद्धिमतापूर्ण युक्तियों व स्तुतियों से इन्हें प्रसन्न कर उन्हें धूप से रक्षार्थ एक छाता व चरणपादुका प्रदान की।
इसी तीर्थ के महात्म्य के बारे में महाभारत में लिखा है:
ततो गच्छेत् राजेन्द्र रेणुकातीर्थमुत्तमम्।
तीर्थाभिषेकं कुर्वीत पितृदेवार्चने रतः।
सर्वपापविशुद्धात्मा अग्निष्टोमफलं लभेत्।
(महाभारत, वन पर्व 83/159-160)
अर्थात् हे राजेन्द्र! तत्पश्चात् रेणुका नामक उत्तम तीर्थ का सेवन करना चाहिए। जहाँ स्नान कर पितरों एवं देवताओं की अर्चना करने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर अग्निष्टोम यज्ञ का फल प्राप्त करता है।
वामन पुराण के अनुसार रेणुका तीर्थ में स्नान करने पर मातृ भक्ति से प्राप्त होने वाला फल मिलता है।
Renuka Tirtha Arnaicha
Tirtha related to Renua, the mother of Parashurama
This tirtha is associated with Renuka, the mother of Parashurama. Once, Surya, disguised as a Brahmin, had sought forgiveness from sage Jamadagni for the pain caused to Renuka by scorching heat. According to the Mahabharata if someone visits this excellent tirtha and takes bath here and worships the forefathers and gods, gets free from all sins and achieves the fruits of performing Agnishtom yajna. According to the Vamana Purana by bathing in the waters of this tirtha the seeker gets the fruit of motherly devotion.