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श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम ने इस तीर्थ का भ्रमण किया था।

भगवान परशुराम ने यहां वाजपेय और एक सौ अश्वमेध यज्ञ करने के बाद )षि कश्यप को पूरी पृथ्वी उपहार में दी थी।

यह तीर्थ सरस्वती नदी के तट पर स्थित है जहां से प्राचीन से लेकर मध्य मध्य काल तक के घाटों के अवशेष एवं मृदभाण्ड मिलते हैं।