- इस तीर्थ का भ्रमण श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम ने किया था।
- कुबेर ने यहां घोर तपस्या करने के बाद देवताओं के धनाध्यक्ष का पद प्राप्त किया था।
- जगतगुरु श्री वल्लभाचार्य जी ने भी इस तीर्थ पर प्रवास किया था जो कि उनकी 84 में से 75वीं बैठक मानी जाती है।
- सरस्वती नदी के तट पर स्थित इस तीर्थ पर प्राचीन से लेकर मध्ययुगीन काल तक पुरावशेष मिलते हैं।