इस तीर्थ को 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि का केन्द्र बिन्दु माना जाता है। इस तीर्थ की गणना स्थानीय लोग कुरुक्षेत्र के अतिविशिष्ट तीर्थों में करते हैं। प्रचलित किंवदन्तियों के अनुसार ब्रह्मा जी ने इसी स्थान पर यज्ञ किया था। प्रचलित मान्यता के अनुसार यदि माघ मास की एकादशी रविवार के दिन पड़े तो यहां स्नान करने से कोटि यज्ञों के करने का पुण्य फल प्राप्त होता है। तीर्थ परिसर में कुल तीन मन्दिर हैं जिनमें से एक उत्तर मध्यकालीन तथा दो आधुनिक मन्दिर हैं।