लौकिक आख्यान इस तीर्थ का सम्बन्ध ऋषि कण्व से जोड़ते हैं जो कि राजा भरत की माता शंकुतला के पालक पिता थे। वर्तमान में तीर्थ पर नागर शिखर युक्त भव्य राम मन्दिर बना हुआ है। तीर्थ दृषद्वती नदी की प्राचीन धारा पर स्थित है जिसमें अष्टकोण बुर्जियों से युक्त उत्तर मध्यकालीन स्नान घाट बने हुए हैं। तीर्थ परिसर से मौय कालीन (चैथी शती ई. पूर्व) के भवन के अवशेष मिले हैं। तीर्थ परिसर के निकट लगभग 20 एकड़ भूमि में फैले टीले से विकसित हड़प्पा काल से लेकर धूसर चित्रित मृदभाण्डों के अतिरिक्त आद्य ऐतिहासिक काल के पुरावशेष मिले हैं।