काम्यक तीर्थ कमौदा
48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि के प्राचीन सात वनों में से एक
काम्यक नामक यह तीर्थ कुरुक्षेत्र से लगभग 15 कि.मी. की दूरी पर कमौदा नामक ग्राम में स्थित है। वामन पुराण के अनुसार कुरुक्षेत्र भूमि में नौ नदियाँ व सात वन थे और उन सब में पवित्र वन काम्यक वन था जोकि सरस्वती के तट के साथ मरु भूमि तक फैला हुआ था। इन सात वनों में अदिति वन, व्यास वन, फलकी वन, सूर्य वन, मधु वन, शीत वन के साथ ही काम्यक वन का उल्लेख आया है।
शृणु सप्त वनानीह कुरुक्षेत्रस्य मध्यतः।
येषां नामानि पुण्यानि सर्वपापहराणि च।
काम्यकं च वनं पुण्यं अदितिवनं महत्।
व्यासस्य च वनं पुण्यं फलकीवनमेव च।
तत्र सूर्यवनस्थानं तथा मधुवनं महत्।
पुण्यं शीतवनं नाम सर्वकल्मषनाशनम्।
(वामन पुराण 34/1-5)
वामन पुराण के अनुसार काम्यक वन में प्रवेश करने मात्र से ही सारे पाप नष्ट हो जाते हंै।
काम्यकं च वनं पुण्यं सर्वपातकनाशनम्।
यस्मिन् प्रविष्टे मात्रस्तु मुक्तो भवति किल्विषैः।।
(वामन पुराण 20/32)
महाभारत के वन पर्व के अनुसार वनवास काल में काम्यक वन में ही पाण्डवों की भेंट वेद व्यास से हुई थी। इसी तीर्थ पर पाण्डवों से भगवान श्रीकृष्ण, विदुर व मैत्रेय ऋषि भी मिलने आये थे। महाभारत के अनुसार काम्यक वन में ही पाण्डवों द्वारा मृगया पर निकलने के पश्चात् कुटी में अकेली द्रौपदी का जयद्रध ने अपहरण कर लिया था। द्रौपदी के करुण क्रन्दन को सुनकर पाण्डवों ने जयद्रथ को युद्ध में पराजित कर उसे बंदी बनाया था। बाद में युधिष्ठिर की सलाह पर पाण्डवों ने उसे मुक्त किया। यहीं द्रौपदी द्वारा सत्यभामा को प्रतिव्रत धर्म की शिक्षाएं दी गई थी। देवराज इन्द्र ने यहीं पाण्डवों से मिलने के लिए मर्हिष लोमश को भेजा था। इसी वन में पाण्डवों की भेंट मार्कण्डेय ऋषि से हुई थी।
कमौदा स्थित इस काम्यक तीर्थ पर ही पाण्डवों ने कई वर्षों तक वास किया। जनश्रुतियांे के अनुसार अश्वत्थामा त्रिकाल संध्या में से एक काल की संध्या इसी तीर्थ पर करते है। पुराणों के अनुसार काम्यक वन में भगवान सूर्य पूषा नामक विग्रह में स्थित रहते हंै। तीर्थ पर रविवार को पड़ने वाली शुक्ल सप्तमी को मेला लगता है। कहा जाता है कि उस दिन तीर्थ के सरोवर में स्नान करने वाला मनुष्य विशुद्ध देह पाकर अपने मनोरथों को प्राप्त करता है। तीर्थ पर कामेश्वर महादेव मन्दिर स्थित है जिसे भगवान शिव द्वारा कामदेव को भस्म करने के प्रंसग से भी जोड़ा जाता है। अंग्रेजी में…
Kamyak Tirtha Kamoda
One of the seven forests of ancient Kurukshetra
This tirtha is located on the bank of River Saraswati in the ancient Kamyak forest of Kurukshetra where the Pandavas met Ved Vyas during their exile. Lord Krishna, Vidur and sage Maitreya also came to see the Pandavas here. The Pandavas also met sage Markandeya in this forest. Draupadi was also kidnapped by Jayadrath in this forest. According to folklore, Ashwatthama, who is believed to be immortal, performs one sandhya puja out of three Sandhyas here at this tirtha. A fair is held at this tirtha when Shukla Saptami falls on Sunday.