सरक तीर्थ, शेरगढ़
सरक नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 4 कि.मी. दूर कैथल हिसार मार्ग से लगभग 1 किलोमीटर पूर्व में शेरगढ़ गांव में स्थित है। शेरगढ़ में स्थित इस तीर्थ का…
सरक नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 4 कि.मी. दूर कैथल हिसार मार्ग से लगभग 1 किलोमीटर पूर्व में शेरगढ़ गांव में स्थित है। शेरगढ़ में स्थित इस तीर्थ का…
• स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह तीर्थ सत्य के देवता यमराज अर्थात धर्म को समर्पित है। • ऐसा माना जाता है कि बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए इस…
• वामन पुराण के अनुसार यह बालखिल्य )षियों की तपोस्थली है जो सृष्टि की शुरुआत के समय भगवान ब्रह्मा से उत्पन्न हुए थे। • स्थानीय मान्यताएं इस तीर्थ को शोभनी…
•महाभारत के अनुसार, इस तीर्थ में स्नान करने के बाद इंद्र की पूजा करने से व्यक्ति को अमरत्व मिलता है। • जनश्रृति इस तीर्थ को महाभारत कालीन राजा डंग से…
• महाभारत के अनुसार संयमित हृदय वाला भक्त इस तीर्थ के जल में स्नान करने के बाद भरपूर धन और समृ(ि प्राप्त करता है। •नारद पुराण के अनुसार, भक्त इस…
लौकिक मान्यताएं इस तीर्थ को सूर्यवंशी राजा )षभदेव के पुत्र भरत से जोड़ती हैं जो अपने दूसरे जन्म में हिरण के रूप में जन्मे थे। ऐसा माना जाता है कि…
• लोक कथाओं के अनुसार, महाभारत यु( शुरू होने से पहले, पांडवों ने इस स्थल पर देवी विंदेश्वरी की पूजा की थी। • स्थानीय किंवदंतियाँ इस तीर्थ को )षि कर्दम…
लोक कथाओं के अनुसार, तीर्थ यात्रा के दौरान ऋषि रिचिक के पुत्र जमदग्नि ने इस तीर्थ पर प्रवास किया था। तीर्थ पर लाखौरी ईंटों से निर्मित अष्टकोण बुर्जी वाले उत्तर…
• यह तीर्थ च्यवन ऋषि से सम्बन्धित है जिन्हे अश्विनी कुमारों ने युवा अवस्था प्रदान की थी। • लोककथाओं के अनुसार, महाभारत के यु( के दौरान पाण्डवों और उनके शिविर…
• पंचतीर्थी के नाम से प्रसि( यह तीर्थ संगरौली, साकरा, धेरड़ू, कौल एवं खेड़ी साकरा की पांच गांवों की सीमा पर स्थित है। • अतीत में यहां पांच प्रमुख देवताओं…
• यह तीर्थ वर्णावती और दृषद्वती नदियों के संगम पर स्थित है जो कि सरस्वती नदी की सहायक नदियाँ थीं। • लोककथाओं के अनुसार, पांडवों ने कुंती की सलाह पर…
खट्वंागेश्वर नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 34 कि.मी. दूर खडालवा ग्राम के एक प्राचीन टीले पर स्थित है। प्रचलित जनश्रुति इस तीर्थ का सम्बन्ध महाराज खण्डेश्वर से जोड़ती है।…