Kurukshetra Development Board

यह तीर्थ प्राचीन काम्यक वन के विस्तार में स्थित है। इसे बन तीर्थ भी कहा जाता है।

वनवास के दौरान पाण्डव लंबे समय तक काम्यक वन में रहे। बरणावती नदी के तट पर होने के कारण ही इस गांव का नाम बारना पड़ा होगा।

17वीं शताब्दी में गुरु तेग बहादुर ने भी गांव का भ्रमण कर अपने अनुयायियों को सतनाम पर प्रवचन दिया था।

मध्यकालीन मृदभाण्ड तीर्थ परिसर के चारों ओर मिलते हैं।