बटेश्वर नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 15 कि.मी. दूर बरोट ग्राम के पूर्व में स्थित है।
इस तीर्थ का नामोल्लेख मत्स्य, कूर्म, पद्म, अग्नि तथा नारद पुराण में मिलता है। प्रचलित जनश्रुति इसका सम्बन्ध महर्षि कर्दम से बताती है। जनश्रुति के अनुसार यहाँ कर्दम मुनि ने अपने धर्मपत्नी के साथ पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु को प्रसन्न करने हेतु तप किया था। इनके तप से प्रसन्न होकर श्री विष्णु ने इन्हें अपने जैसा ही पुत्र होने का वरदान दिया। अतः यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस तीर्थ में पुत्र की मनोकामना से स्नान करता है, वह अवश्य ही अपना अभिलषित वर प्राप्त करता है।
एक अन्य प्रचलित मान्यता इस तीर्थ का सम्बन्ध महर्षि वशिष्ठ से जोड़ती है। संक्षेपतः यही कहा जा सकता है कि पौराणिक काल में निर्मित कई तीर्थों के नाम एवं महत्त्व में काल के एक अत्यन्त दीर्घ अन्तराल के पश्चात् परिवर्तन आना सर्वथा स्वाभाविक ही है। समय की एक सुदीर्घ अवधि बीत जाने पर भी वर्तमान तीर्थों के नाम पौराणिक साहित्य में एवं महाभारत में उल्लिखित नाम से पर्याप्त समानता रखते हैं।
तीर्थ सरोवर मन्दिर के पूर्व मे स्थित है। इस सरोवर की खुदाई से अनेक ढलवाँ अलंकृत ईंटे मिली है जिनसे यह सिद्ध होता है कि कभी इस तीर्थ पर ईंटो से निर्मित कोई मन्दिर रहा होगा। इस प्रकार के मन्दिर कपिल मुनि तीर्थ कलायत में मिले हैं। तीर्थ सरोवर से पूर्व मध्यकाल की संस्कृतियों के निक्षेप मिलें हैं जिससे इस तीर्थ की प्राचीनता स्वतः सिद्ध हो जाती है।