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आह्न तीर्थ नामक यह तीर्थ करनाल से लगभग 39 कि.मी. दूरी पर निगदू ग्राम में स्थित है। ऋग्वेद, महाभारत और वामन पुराण में इसका अह्न नाम से उल्लेख है।
नितदधे-इडायास्पदे सुदिनत्वे अह्नाम्।
(ऋग्वेद 3/23-4)
सम्भवतः यही अह्न कालांतर में आह्न कहा जाने लगा।
महाभारत में इस तीर्थ के नाम एवं महत्त्व के विषय में वर्णित है कि अह्न एवं सुदिन नामक दो तीर्थ पृथ्वी पर विख्यात है। इनमें स्नान करने वाला व्यक्ति सूर्य लोक को प्राप्त करता है।
अह्नश्चसुदिनश्चैव द्वैतीर्थे लोकविश्रुते।
तयोःस्नात्वा नरव्याघ्र सूर्यलोकमवाप्नुयात्।
(महाभारत, वन पर्व 83/100)
वामन पुराण में भी इस तीर्थ का ऐसा ही महत्त्व बताया गया है।
अह्नश्च सुदिनं चैव द्वैतीर्थे भुवि दुर्लभे।
तयोः स्नात्वा विशुद्धात्मा सूर्यलोकमवाप्नुयात्।
(वामन पुराण 36/61)
उक्त श्लोक से स्पष्ट होता है कि महाभारत एवं वामन पुराण में वर्णित इस तीर्थ का महत्व लगभग एक जैसा है।