Aditi Tirth, Amin

Aditi Tirth, Amin

अदिति तीर्थ अभिमन्युपुर

देव माता अदिति की तपस्या स्थली

अदिति तीर्थ कुरुक्षेत्र से लगभग 9 कि.मी. दूर अमीन ग्राम में स्थित है। पुराणों में यह क्षेत्र अदिति वन या अदिति क्षेत्र के रुप में जाना जाता है। वामन पुराण में कहा है कि यहाँ स्नान करने एवं देवताआंे की माता अदिति का दर्शन करने वाली स्त्री सभी दोषों से मुक्त हो जाती है एवं शूरवीर पुत्र को जन्म देती है।
ततो गच्छेत् विपे्रन्द्र नाम्नाऽदितिवनं महत्।
तत्र स्नात्वा च दृष्ट्वा च अदितिं देवमातरम्।
पुत्रं जनयते शूरं सर्वदोषविवर्जितम्।
(वामन पुराण, 13/13)
कहा जाता है कि इसी स्थान पर देवमाता अदिति ने सहस्रों वर्षो तक तपस्या करके मार्तण्ड (आदित्य) को पुत्र रुप में प्राप्त किया था। मार्तण्ड ने दानवों को युद्ध में पराजित कर अपने भाई इन्द्र को पुनः स्वर्ग का सिंहासन सौंपा था।
अमीन नामक स्थान का सम्बन्ध जनश्रुतियाँ महाभारत से भी जोड़ती है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर महाभारत युद्ध में कौरव सेनापति गुरु द्रोणाचार्य द्वारा चक्रव्यूह की रचना की गई थी। इसी चक्रव्यूह का भेदन करते हुए अर्जुन पुत्र वीर अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए थे। अतः परम्परानुसार यह स्थान अभिमन्युखेड़ा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कालान्तर में अभिमन्युखेड़ा का अपभ्रंश ही अमीन नाम से जाना जाने लगा। स्थानीय लोग यहाँ स्थित विशाल पुरातात्त्विक टीले को ही चक्रव्यूह के अवशेष मानते है।
यहाँ स्थित सरोवर को सूर्य कुण्ड भी कहा जाता है। कुरुक्षेत्र भूमि में अन्यत्र भी कईं सूर्य कुण्ड मिलते है जो कि इस क्षेत्र में प्राचीन काल में प्रचलित सूर्य उपासना के महत्त्व को संकेतित करते है। तीर्थ के पश्चिम में अमीन से प्राप्त यक्ष एवं यक्ष-यक्षिणी की शुंग कालीन (प्रथम शती ई॰पूर्व) की प्रतिमाएं मिली हैं जिनसे इस क्षेत्र में यक्ष पूजा की प्राचीन परम्परा का पता लगता है।

Aditi Tirtha Abhimanyupur

This tirtha is situated in the Aditi forest area of ancient Kurukshetra. According to the VamanPurana, a woman who bathes in the waters of this tirtha and sees Aditi is freed from all sins and gives birth to a brave son. It is said that at this place Aditi, the mother of gods, performed severe penances for thousands of years and conceived Martand (Aditya) as her son. According to folklore, Abhimanyu attained martyrdom while breaking the Chakravyuh at this place. There is a huge archaeological mound to the west of the tirtha.

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