खट्वंागेश्वर नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 34 कि.मी. दूर खडालवा ग्राम के एक प्राचीन टीले पर स्थित है।
प्रचलित जनश्रुति इस तीर्थ का सम्बन्ध महाराज खण्डेश्वर से जोड़ती है। कहा जाता है कि एक बार महाराज खण्डेश्वर भ्रमण करते हुए यहाँ पहुँचे। उन्होंने इस स्थान पर चारों ओर घने जंगल को देखा। खण्डेश्वर भगवान शिव के अनन्य उपासक थे। रात्रि को विश्राम कर सुबह उन्होंने भगवान शिव की अर्चना की। यहाँ पर उन्हें शिवलिंग के दर्शन हुए। तब राजा खण्डेश्वर ने इस स्थान को आबाद करने की इच्छा से खण्डालवा नाम का एक गाँव बसाया। यहाँ पर निर्मित भव्य शिव मन्दिर में प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की शिवरात्रि को मेला लगता है।
मन्दिर के पूर्व में अष्टकोण बुर्जी वाला एक घाट है तथा एक छोटा सा सरोवर है जो कि पहले वाले सरोवर से पूर्व में जुड़ा रहा होगा।
इस तीर्थ के पश्चिम में खंडवागेश्वर मन्दिर है। मन्दिर में एक स्वंभू पाषाण का बृहद्ाकार शिवलिंग है जिसकी ऊंचाई लगभग 2 फुट है। तीर्थ परिसर से मिली ईंटो एवं मृद-पात्रों के आधार पर इस स्थल की प्राचीनता पहली शती ई. तक सिद्ध होती है।