Kurukshetra Development Board

पावन नामक यह तीर्थ करनाल से लगभग 36 कि.मी. दूर करनाल-असन्ध मार्ग पर स्थित उपलाना ग्राम में है। इस तीर्थ का नाम एवं महत्त्व महाभारत वन पर्व केे 83वें अध्याय में स्वस्तिपुर नामक तीर्थ के पश्चात् वर्णित है:
पावनं तीर्थमासाद्य तर्पयेत्पितृदेवताः।
अग्निष्टोमस्य यज्ञस्य फलं प्राप्नोति भारत।।
(महाभारत, वन पर्व, 83/175)
अर्थात् हे भारत! पावन तीर्थ में जाकर देवताओं एवं पितरों का तर्पण करने वाला मनुष्य अग्निष्टोम के फल को प्राप्त करता है।
महाभारत में ही अनुशासन पर्व के अन्तर्गत पावन की गणना विश्वदेवों में की गई है:
विश्वे चाग्निमुखादेवाः संख्याताः पूर्वमेव ते।
तेषां नामानि वक्ष्यामि भागार्हाणां महात्मनाम्।।
बलं धृतिविपापात्मा च पुण्यकृत्पावनस्तथा।
पाष्र्णिक्षेेमासमूहश्च दिव्यसानुस्तथैव च।।
(महाभारत, अनुशासन पर्व 29-30)
उपरोक्त श्लोक से स्पष्ट है कि पुण्यकृत पावन भी एक प्रमुख विश्वदेव है।
लोक प्रचलित श्रुति इसे पाण्डवों के समय का तीर्थ बताती है। यहाँ के लोगों में ऐसी मान्यता पाई जाती है कि यहाँ आने पर श्रद्धालुजनों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ग्रामीण निवासी इस तीर्थ को गोपालमोचन कहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *