तीर्थ का संदर्भ महाभारत के वन पर्व में मिलता है जहां इसका उल्लेख रुद्रकोटि तीर्थ के बाद किया गया है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस तीर्थ से ही महाभारत के युद्ध के दौरान सेनाओं के लिए पानी की आपूर्ति की जाती थी। प्राचीन समय के सात कुओं में से यहां अब केवल तीन कुएँ ही देखने को मिलते हैं। कईं वर्षों तक यहां का पानी गंगा जल जैसे स्वच्छ एवं पवित्र माना जाता था। इस तीर्थ पर मध्यकाल में प्रसिद्ध संत बाबा दयालपुरी जी का आश्रम था, जिनकी समाधि शिव मंदिर के साथ स्थित है।