जनश्रुतियां इस तीर्थ का सम्बन्ध महर्षि पराशर से जोड़ती हैं जो कि महर्षि वेद व्यास के पिता तथा महर्षि वशिष्ठ के पौत्र थे। यह तीर्थ पगधोई के नाम से भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण कुछ समय के लिए यहां रुके थे और इस सरोवर के पानी से उन्होने अपने पैर धोए थे। प्रत्येक अमावस्या को गांव के हर घर से इस तीर्थ पर प्रसाद बनाने हेतु दूध का दान किया जाता है। तीर्थ से मध्यकालीन मद्भाण्ड मिले हैं तथा तीर्थ के पश्चिम में पांजू खुर्द नामक ग्राम से आद्य ऐतिहासिक एवं मध्यकाल के पुरावशेष मिलते हैं।