लोक मान्यताओं के अनुसार इस तीर्थ पर दत्तात्रेय की पूजा करने से दुर्लभ आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। तीर्थ का देवता एक सिरस का वृक्ष है जिसकी यहां पूजा की जाती है। भक्तों द्वारा सिरस वृक्ष की जड़ों में पानी डाला जाता है। 48 कोस कुरूक्षेत्र क्षेत्र की भूमि की सीमा रेखा पर स्थित यह तीर्थ प्राचीन दृषद्वती नदी के पुरा प्रवाह मार्ग पर स्थित है। तीर्थ के उत्तर-पश्चिम में गांव के खेतों से प्रारंभिक मध्ययुगीन मृदभाण्ड एवं अन्य पुरावशेष मिलते हैं।