यह तीर्थ चैंसठ योगिनियों को समर्पित है, जिनकी पूजा प्रायः नवग्रहों के साथ अग्नि कोण में की जाती है। यहां स्थित संयुक्त मंदिर चैंसठ योगिनियों तथा भाई जी नामक महात्मा को समर्पित है। मंदिर के शीर्ष भाग में चैंसठ योगिनियों में से उन चार योगिनियों की मूर्तियां हैं जो भाई जी द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाईं और यहीं रह गईं। कलावती गांव का नाम भी किसी एक योगिनी के नाम पर रखा गया प्रतीत होता है। तीर्थ सरोवर पर उत्तर-मध्यकालीन स्नान घाट है जहां हर शुक्ल पक्ष की दसमी को स्नान करने की परंपरा है। यह तीर्थ प्राचीन दृषद्वती नदी के पुराप्रवाह मार्ग पर स्थित है।