वामन पुराण में कहा गया है कि ज्येष्ठाश्रम और विष्णु पद सरोवर में श्राद्ध, दान, व्रत नियम पूर्वक करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और इसे सर्वपाप विनाशक कहा गया है। यहां ज्येष्ठमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को उपवास रख कर द्वादशी के दिन तीर्थ स्नान की परम्परा है। इस स्ािान पर तीन अन्य तीर्थाें (विष्णुह्रद, कोटि तीर्थ एवं सूर्य तीर्थ) की उपस्थिति भी बताई गई है। तीर्थ परिवेश से हड़प्पा संस्कृति से लेकर गुप्त काल की संस्कृतियों के प्रमाण मिले है।