• यह तीर्थ सरस्वती की सहायक नदी दृषद्वती नदी के तट पर स्थित है।
•लौकिक आख्यानों के अनुसार इस तीर्थ को मल्लिकेश्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता है जो कि भगवान शिव का एक नाम माना जाता है।
• लोक कथाएँ इस तीर्थ का सम्बन्ध भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन का रथ इस स्थान पर रोकने से जोड़ती हैं।
•एक अन्य लोक मान्यता के अनुसार यह गांव धृतराष्ट्र के नाम से पड़ा है।
• तीर्थ से कुषाण और गुप्त कालीन पुरावशेष मिले हैं। यहां से मिली एक 9-10वीं शती की गंगा की भग्न मूर्ति भी मिली है।