• लोक कथाओं के अनुसार, महाभारत यु( शुरू होने से पहले, पांडवों ने इस स्थल पर देवी विंदेश्वरी की पूजा की थी।
• स्थानीय किंवदंतियाँ इस तीर्थ को )षि कर्दम का एक आश्रम मानती हैं, जिनका दूसरा आश्रम पास के गाँव बरोट में स्थित है।
• तीर्थ परिसर के मन्दिर में भित्तिचित्र तथा तीर्थ परिवेश से मध्यकालीन मृदभाण्ड एवं अन्य पुरावशेष मिले हैं।