• यह तीर्थ च्यवन ऋषि से सम्बन्धित है जिन्हे अश्विनी कुमारों ने युवा अवस्था प्रदान की थी।
• लोककथाओं के अनुसार, महाभारत के यु( के दौरान पाण्डवों और उनके शिविर के लिए भोजन यहां तैयार किया जाता था। इसलिए इसे चुल्हा तीर्थ भी कहा जाता है।
• तीर्थ के आसपास के क्षेत्र से आद्य-ऐतिहासिक एवं मध्य कालीन मृद्भाण्ड एवं पुरावशेष मिलते हैं।