Ikshumati Tirth, Polad
इक्षुमति नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 20 कि.मी. दूर सरस्वती नदी के किनारे पोलड़ ग्राम में एक प्राचीन टीले पर स्थित है। पोलड़ नामक ग्राम में स्थित यह तीर्थ…
इक्षुमति नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 20 कि.मी. दूर सरस्वती नदी के किनारे पोलड़ ग्राम में एक प्राचीन टीले पर स्थित है। पोलड़ नामक ग्राम में स्थित यह तीर्थ…
सुतीर्थ नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 21 कि.मी. की दूरी पर सौंत्था ग्राम के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इस तीर्थ का वर्णन महाभारत में इस प्रकार है: ततो गच्छेत्…
शीतवन/स्वर्गद्वार नामक यह तीर्थ कैथल से 15 कि.मी. दूर गुहला-चीका मार्ग पर सीवन ग्राम में स्थित है। वामन पुराण में कुरुक्षेत्र के सात वनों का स्पष्ट वर्णन उपलब्ध होता है:…
मातृ तीर्थ नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 19 कि.मी. की दूरी पर ग्राम रसूलपुर के पूर्व में स्थित है। इस तीर्थ का नामोल्लेख महाभारत, ब्रह्म पुराण, वामन पुराण, पद्म…
श्रीकुंज नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 20 कि.मी. दूर कैथल-पिहोवा मार्ग पर बानपुरा में स्थित है। बानपुरा में स्थित इस तीर्थ का वर्णन महाभारत एवं वामन पुराण दोनों में…
नैमिष नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 17 कि.मी. दूर कैथल-पिहोवा मार्ग पर नौच ग्राम में स्थित है। महाभारत के आदि पर्व में यह उल्लेख है कि नैमिषारण्य में ऋषियों…
वेदवती नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 14 कि.मी. दूर बलवन्ती नामक ग्राम में स्थित है। वामन पुराण में इस तीर्थ का विस्तार से वर्णन है। रामायण में इस तीर्थ…
कोटिकूट नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 11 कि.मी दूर क्योड़क ग्राम में स्थित है। क्योड़क नामक ग्राम में स्थित यह तीर्थ महाभारत एवं वामन पुराण में उल्लिखित कोटि तीर्थ…
बटेश्वर नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 15 कि.मी. दूर बरोट ग्राम के पूर्व में स्थित है। इस तीर्थ का नामोल्लेख मत्स्य, कूर्म, पद्म, अग्नि तथा नारद पुराण में मिलता…
पवनह्रद नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 27 कि.मी. दूर पबनावा नामक ग्राम में स्थित है। कुरुक्षेत्र की 48 कोस भूमि में पवन देव से सम्बन्ध्ति एकमात्र तीर्थ होने से…
गढ़रथेश्वर नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 27 कि.मी. दूर कौल ग्राम के समीप स्थित है। कौल नामक ग्राम में स्थित यह तीर्थ महाभारत के नायक दानवीर योद्धा कर्ण से…
कुलोत्तारण नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 27 कि.मी. दूर कौल ग्राम में स्थित है। यह तीर्थ कपिलमुनि तीर्थ परिसर में ही स्थित है। कुलों का उद्धार करने अथवा कुलों…